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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के स्कूलों में 25,753 शिक्षकों, अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध ठहराया

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नयी दिल्ली: तीन अप्रैल (ए) पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय ने राज्य में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को बृहस्पतिवार को अवैध करार दिया और चयन प्रक्रिया को ‘‘त्रुटिपूर्ण’’ बताया।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के संबंध में 127 याचिकाओं पर निर्णय सुनाते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमारे विचार में यह ऐसा मामला है जिसमें पूरी चयन प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है। बड़े पैमाने पर हेरफेर और धोखाधड़ी के साथ-साथ मामले को छिपाने के प्रयासों ने चयन प्रक्रिया को इतना नुकसान पहुंचाया है कि उसे दुरुस्त नहीं किया जा सकता।’’प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने नियुक्तियों को रद्द करने संबंधी कलकत्ता उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल 2024 के फैसले को बरकरार रखा।

फैसला सुनाते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जिन कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द की गई हैं, उन्हें अपना वेतन और अन्य भत्ते वापस करने की जरूरत नहीं है।शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को नए सिरे से चयन प्रक्रिया शुरू करने और इसे तीन महीने के भीतर पूरा करने का भी आदेश दिया।

हालांकि, न्यायालय ने दिव्यांग कर्मचारियों को मानवीय आधार पर छूट देते हुए कहा कि वे नौकरी में बने रहेंगे।

पीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच संबंधी उच्च न्यायालय के निर्देश को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए चार अप्रैल की तारीख तय की।

शीर्ष अदालत ने 10 फरवरी को मामले से संबंधित कई याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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