Site icon Asian News Service

धनशोधन मामले में उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के कारोबारी को अंतरिम जमानत दी

Spread the love

नयी दिल्ली: 19 मई (ए) उच्चतम न्यायालय ने कोयला परिवहन पर अवैध उगाही से जुड़े एक धनशोधन मामले में गिरफ्तार छत्तीसगढ़ के एक कारोबारी को इस बात का संज्ञान लेते हुए अंतरिम जमानत दे दी कि वह पहले ही एक साल और सात महीने की कैद काट चुका है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विश्वनाथन की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को जांच की स्थिति का पता लगाने और संबंधित सामग्री के साथ अतिरिक्त हलफनामा रिकॉर्ड पर लाने के लिए छह सप्ताह का समय दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि आज की तारीख में याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 384 या किसी अन्य प्रावधान के तहत कोई पूर्व मूल अपराध (अवैध लाभ देने वाली अंतर्निहित आपराधिक गतिविधि) दर्ज नहीं है।

न्यायालय ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता पहले ही लगभग एक साल और सात महीने की कैद काट चुका है। याचिकाकर्ता का नाम प्राथमिकी या आरोपपत्र में आरोपी के रूप में नहीं है…।’’

पीठ ने कहा, ‘‘नतीजतन, हम अर्जी के संबंध में कोई अंतिम मंतव्य प्रकट किये बिना यह पाते हैं कि याचिकाकर्ता ने अंतरिम जमानत पर छोड़े जाने के लिए प्रथम दृष्टया मजबूत आधार बनाया है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है, बशर्ते उन्हें (कारोबारी को) रायपुर स्थित विशेष अदालत की संतुष्टि के लिए जमानती बॉण्ड प्रस्तुत करना होगा।

पीठ सुनील कुमार अग्रवाल द्वारा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने आठ अप्रैल को उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।

मामले में याचिकार्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और विकास पाहवा पेश हुए।

ईडी की जांच एक कथित घोटाले से संबंधित है, जिसमें वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलिये से जुड़े एक कार्टेल द्वारा छत्तीसगढ़ में परिवहन किए गए प्रत्येक टन कोयले के लिए 25 रुपये का अवैध शुल्क वसूला जा रहा था।

ईडी ने अपने दूसरे पूरक आरोप-पत्र में आरोप लगाया कि घोटाले की अवधि के दौरान कोरबा जिले के कलेक्टर के रूप में कार्यरत आईएएस अधिकारी रानू साहू ने अवैध शुल्क वसूली में मदद की थी। वसूली का कार्य सूर्यकांत तिवारी और उनके सहयोगियों ने किया था।

धनशोधन का यह मामला आयकर विभाग की एक शिकायत से उपजा है, जो जून 2022 में विभाग द्वारा की गई छापेमारी के बाद दर्ज किया गया था।

Exit mobile version