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विद्यालयों में ‘योग मित्र’ नियुक्त करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से शीर्ष अदालत का इनकार

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नयी दिल्ली: आठ नवंबर (ए) उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों को स्कूली बच्चों के लिए ‘योगमित्र’ प्रशिक्षकों को नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय से कहा कि यह नीतिगत मामला है।प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ चूंकि मैं योग करता हूं तो मैं कह सकता हूं कि यह (शारीरिक) विकास के लिए जरूरी है लेकिन यह विशुद्ध रूप से सरकार के नीतिगत विषय का क्षेत्र है।’’

जब उपाध्याय ने अपनी याचिका को वापस लेने की अनुमति मांगी तो पीठ ने अनुमति दे दी।

याचिका में कहा गया है कि शिक्षा में योग को शामिल करने से न केवल अनुच्छेद 21 के तहत बच्चों के स्वास्थ्य का अधिकार अक्षुण्ण रहता है बल्कि अनुच्छेद 21ए के तहत उनके शिक्षा के अधिकार को भी बल मिलता है।

याचिका में कहा गया है, ‘‘स्वास्थ्य के अधिकार में बीमारियों की रोकथाम एवं स्वास्थ्य की सुरक्षा शामिल है एवं बच्चे गरिमा के साथ जीवन जी सकें, इसके लिए यह न्यूनतम जरूरत है। इसलिए, राज्य का न केवल स्कूलों में ‘योग मित्र’ नियुक्त करना संवैधानिक दायित्व है बल्कि उसे अच्छे स्वास्थ्य के लिए अनुकूल स्थितियां भी सुनिश्चित करना है।

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