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उच्चतम न्यायालय ने सपा नेता की याचिका पर उप्र विधान परिषद के सभापति कार्यालय से मांगा जवाब

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नयी दिल्ली, 10 फरवरी (ए) उच्चतम न्यायालय ने समाजवादी पार्टी (सपा) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) लाल बिहारी यादव द्वारा दायर उस याचिका पर शुक्रवार को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति के कार्यालय से जवाब मांगा, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है।.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नेता प्रतिपक्ष (एलओपी) के रूप में उनकी मान्यता वापस लिये जाने को बरकरार रखा था।.प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने यादव की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की और उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति के कार्यालय को एक नोटिस जारी किया, जिसने अधिसूचना जारी कर सात जुलाई, 2022 को याचिकाकर्ता की एलओपी के रूप में मान्यता वापस ले ली थी।

यादव की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता होता है।

पीठ ने कहा कि विपक्षी पार्टी से वह जो समझती है वह एक राजनीतिक दल है, जो सरकार का हिस्सा नहीं है।

उसने कहा, ‘‘हमें यह देखना है कि क्या कानून के तहत ऐसा कोई नियम है कि विपक्ष का नेता उस पार्टी से होगा, जिसके पास एक निश्चित संख्या में सीट होंगी।’’

दीवान ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 100 सदस्य हैं, जिनमें से 90 निर्वाचित और 10 मनोनीत हैं।

पीठ ने दीवान से पूछा कि सपा के सदन में कितने सदस्य हैं।

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