नयी दिल्ली: 13 जनवरी (ए) उच्चतम न्यायालय ने जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के एक आतंकवादी समेत 114 दोषियों की सजा माफी संबंधी याचिका पर फैसला करने में देरी करने को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है।
सजा माफी की याचिका दायर करने वाले आतंकवादी गफूर को देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने का दोषी ठहराया गया है और उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने 14 साल से अधिक समय तक जेल की सजा काट चुके आजीवन कारावास के दोषियों की माफी याचिका को स्वचालित तरीके से खारिज करने के लिए राज्यों को फटकार लगाई।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने अदालत को बताया कि गफूर समेत 114 दोषियों की समयपूर्व रिहाई पर विचार करने के लिए 21 दिसंबर को सजा समीक्षा बोर्ड की बैठक हुई थी।
उन्होंने कहा कि बैठक की जानकारी का मसौदा उपराज्यपाल को सौंपने के लिए दिल्ली सरकार के गृह विभाग को भेज दिया गया है।
इसके बाद पीठ ने कहा, ‘‘आप जो कर रहे हैं वह शीर्ष अदालत के 11 दिसंबर के आदेश का पूर्ण उल्लंघन है। आपने यह स्पष्ट नहीं किया है कि आप सजा माफी संबंधी किस नीति का पालन कर रहे हैं। आपने जो किया वह बहुत आपत्तिजनक था।’’
उसने कहा, ‘‘सजा माफी के मामले में सभी राज्य सरकारों की स्थिति एक जैसी है। एक तय तरीका है। सभी राज्य सरकारें सजा माफी के पहले आवेदन पर विचार किए बिना उसे स्वचालित रूप से अस्वीकार कर देती हैं।’’
शीर्ष अदालत ने 114 याचिकाओं पर फैसला करने के लिए सरकार को दो सप्ताह का समय दिया।
शीर्ष अदालत गफूर की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें इस आधार पर उसकी समय से पहले रिहाई का अनुरोध किया गया है कि उसने लगभग 16 साल जेल में बिताए हैं।