Site icon Asian News Service

स्तन पकड़ना और ‘पजामा’ का नाड़ा तोड़ना मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के विवादास्पद आदेश का सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया

Spread the love

नयी दिल्ली: 25 मार्च (ए) उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस विवादास्पद फैसले का स्वत: संज्ञान लिया है जिसमें कहा गया था कि केवल स्तन पकड़ना और ‘पजामा’ का नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म या दुष्कर्म के प्रयास का मामला नहीं माना जा सकता।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ बुधवार को इस मामले की सुनवाई करेगी।कानूनी विशेषज्ञों ने बलात्कार के आरोप की परिभाषा पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की टिप्पणी की निंदा की थी और न्यायाधीशों से संयम बरतने को कहा था. विशेषज्ञों ने कहा था कि ऐसे बयानों के कारण न्यायपालिका में लोगों के विश्वास में कमी आती है. उच्च न्यायालय ने 17 मार्च को फैसला सुनाया था कि केवल स्तन पकड़ना और ‘पजामा’ का नाड़ा तोड़ना बलात्कार का अपराध नहीं है, ऐसा अपराध किसी महिला के खिलाफ हमला या आपराधिक बल के इस्तेमाल के दायरे में आता है, जिसका उद्देश्य उसे निर्वस्त्र करना या नग्न होने के लिए मजबूर करना है.यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने उन दो व्यक्तियों की एक समीक्षा याचिका पर पारित किया था, जिन्होंने कासगंज के एक विशेष न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया. विशेष न्यायाधीश ने याचिकाकर्ताओं को अन्य धाराओं के अलावा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के तहत तलब किया था.

Exit mobile version