नयी दिल्ली: 30 दिसंबर (ए) दिल्ली की एक अदालत ने बलात्कार और बिना सहमति के महिला का गर्भपात कराने के आरोपों का सामना कर रहे एक व्यक्ति की याचिका पर पुलिस को सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। व्यक्ति ने दावा किया है कि पुलिस ने उसे अवैध रूप से गिरफ्तार किया था।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सिद्धांत सिहाग आरोपी वाणिज्यिक पायलट की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें कहा गया है कि पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी और पूछताछ की कार्यवाही की वीडियोग्राफी सहित अपेक्षित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना उसे गिरफ्तार कर लिया।याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि उसे अवैध हिरासत में रखा गया। उसने जांच अधिकारी पर पिछली तारीख के दस्तावेज तैयार करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वह शिकायतकर्ता के साथ मिले हुए हैं।
अधिवक्ता संजय शर्मा और करण सचदेवा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि थाने, आरोपी के घर और पटियाला हाउस जिला अदालत के अदालत कक्ष के पास के सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित किया जाए, ताकि वसंत कुंज थाने के पुलिस अधिकारियों द्वारा किए गए दुर्भावनापूर्ण और अवैध कृत्यों को साबित किया जा सके।’अदालत ने 22 दिसंबर को अपने आदेश में शर्मा की दलीलों पर गौर किया कि वह अदालत परिसर के अंदर फुटेज को संरक्षित करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक अर्जी दायर करेंगे।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं आंशिक रूप से अर्जी को स्वीकार करने के लिए इच्छुक हूं…।’’ उन्होंने कहा कि थाना प्रभारी (एसएचओ) को 21 नवंबर को सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक वसंत कुंज दक्षिण पुलिस थाने में कैमरों के सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने के लिए नोटिस जारी किया जाता है।
न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि आरोपी के घर पर लगे सीसीटीवी कैमरों में 21 नवंबर को सुबह आठ बजे से 11 बजे के बीच की रिकॉर्डिंग को संरक्षित किया जाए।
पुलिस ने पायलट के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें धारा 63 (बलात्कार), 70 (सामूहिक बलात्कार), 75 (यौन उत्पीड़न), 74 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और 89 (महिला की सहमति के बिना गर्भपात कराना) शामिल हैं।