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सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी संपत्ति कानून के प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित करने वाले अपने फैसले को वापस लिया

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नयी दिल्ली: 18 अक्टूबर (ए) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपने 2022 के उस फैसले को वापस ले लिया, जिसमें बेनामी संपत्ति लेनदेन पर रोक लगाने वाले कानून के दो प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित किया गया था। ये प्रावधान ऐसे सौदों और संपत्तियों को अधिकारियों द्वारा कुर्क किए जाने पर रोक लगाते हैं।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने 23 अगस्त, 2022 के फैसले पर केंद्र की समीक्षा याचिका की सुनवाई करते हुए पूर्व सीजेआई एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ द्वारा दिए गए फैसले को वापस ले लिया।शीर्ष अदालत ने अगस्त 2022 के अपने फैसले में तब माना था कि बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम, 1988 की धाराएं 3(2) और पांच ‘‘स्पष्ट रूप से मनमानी’’ होने के कारण असंवैधानिक थीं।

अधिनियम की धारा-तीन बेनामी (किसी व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्ति के माध्यम से रखी गई संपत्ति) लेन-देन पर रोक से संबंधित है, जबकि धारा-पांच कुर्क करने योग्य बेनामी संपत्ति से संबंधित है।

शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों से सहमति जताई कि इन दोनों प्रावधानों की वैधता को तत्कालीन पीठ के समक्ष चुनौती नहीं दी गई थी।

पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले को देखते हुए, समीक्षा की अनुमति दी जानी चाहिए। यह एक सामान्य कानून है कि किसी वैधानिक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने पर पक्षों के बीच जीवंत सुनवाई और विवाद की अनुपस्थिति में निर्णय नहीं लिया जा सकता है।’’

इसके परिणामस्वरूप उच्चतम न्यायालय ने समीक्षा याचिका को अनुमति दे दी।

अगस्त 2022 के अपने फैसले में, उच्चतम न्यायालय ने माना था कि अधिकारी बेनामी संपत्ति कानून के लागू होने से पहले किए गए लेनदेन के लिए आपराधिक मुकदमा या जब्ती की कार्यवाही शुरू या जारी नहीं रख सकते।

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