जयपुर, 28 मई (ए)। राजस्थान के राजसमंद जिले से एक चौकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक परिवार ने शव की पहचान अपने परिजन के रूप में करते हुए उसका अंतिम संस्कार कर दिया। फिर क्या वह सदस्य एक सप्ताह बाद सही सलामत घर लौट आया, जिसे जिंदा देख परिवार हतप्रभ है। घटना जिले के कांकरोली की है। शराब का आदी ओंकार लाल (40) 11 मई को बिना परिवार को बताए उदयपुर चला गया और वहां उसे लीवर में दिक्कत होने पर अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
वहीं, उसी दिन मोही इलाके से गोवर्धन प्रजापति को भी 108 एंबुलेंस से उसी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जिसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। उसका शव मुर्दाघर में रखा था। कांकरोली के थाना प्रभारी योगेंद्र व्यास ने बताया कि अस्पताल अधिकारियों से एक पत्र मिला कि एक शव मुर्दाघर में तीन दिन से है और कोई वारिस सामने नहीं आया है। 15 मई को कुछ लोग अस्पताल आए और शव को ओंकार लाल गडुलिया का बताया। पुलिस ने भी बिना पोस्टमार्टम करवाए शव उनको सौंप दिया। अंतिम संस्कार के बाद 23 मई को ओंकार लाल खुद घर पहुंच गया। इस बीच, अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ललित पुरोहित ने कहा कि बड़ी संख्या में रोगी आ रहे थे। 108 एंबुलेंस सेवा के जरिये उस मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया। यह नर्सिंग और मुर्दाघर स्टाफ के बीच तालमेल की कमी का मामला है। मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।
बताया गया कि मृतक प्रजापत के तीन बच्चे थे जिन्हें उसकी तबीयत खराब होने के बाद शिशु कल्याणघर भेज दिया गया। जबकि उसकी पत्नी ने उसे छोड़ दिया था। बता दें कि राजस्थान में कोरोना का कहर जारी है और यहां मौतों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।