लखनऊ: 18 अगस्त (ए) उत्तर प्रदेश में सहायक अध्यापक भर्ती को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि सरकार का स्पष्ट मत है कि संविधान सम्मत आरक्षण सुविधा का लाभ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मिले और किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।
उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग को उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी और उच्च न्यायालय के फैसले के आलोक में कार्रवाई करने को कहा।राज्य सरकार द्वारा यहां जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “69,000 सहायक अध्यापकों के मामले में बेसिक शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को न्यायालय के फैसले के सभी तथ्यों से अवगत कराया। इस पर मुख्यमंत्री ने उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी और उच्च न्यायालय के फैसले के आलोक में कार्रवाई करने के निर्देश दिए।”
बयान के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा, “सरकार का स्पष्ट मत है कि संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण सुविधा का लाभ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मिलना चाहिए और किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।”
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को तीन महीने के भीतर 69,000 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए नयी चयन सूची तैयार करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी उन चयन सूचियों को रद्द कर दिया, जिनमें आरक्षित श्रेणियों के 6,800 अभ्यर्थी शामिल थे। ताजा आदेश 16 अगस्त को अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। पीठ ने पहले के आदेश को भी संशोधित किया और कहा कि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी जो सामान्य श्रेणी की मेरिट सूची में अर्हता प्राप्त करते हैं उन्हें उस श्रेणी में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
अदालत के आदेश के बाद, विपक्षी दल उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार पर “आरक्षण प्रणाली के साथ खिलवाड़” करने का आरोप लगा रहे हैं।
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में प्रदेश में पिछड़ों के बड़े नेता माने जाने वाले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर आरोप लगाते हुए कहा कि “पसंदीदा उपमुख्यमंत्री” उस सरकार का हिस्सा हैं जिसने युवाओं से आरक्षण छीन लिया।
यादव कि इस टिप्पणी पर पटवार करते हुए मौर्य ने आरोप लगाया कि “कांग्रेस के मोहरे ‘सपा बहादुर का पीडीए एक बड़ा झूठ है।”
पीडीए “पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक” (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) का संक्षिप्त रूप है, जिसे यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले गढ़ा था और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करना समाजवादी पार्टी का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा था।
मौर्य ने शनिवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़े वर्ग के लोगों और दलितों की जीत है, जिन्होंने अपने अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। मैं उनका तहे दिल से स्वागत करता हूं।”
यादव ने मौर्य पर राजनीतिक कार्ड खेलने का आरोप लगाया।
सपा अध्यक्ष ने कहा, “जो दर्द देते हैं, वे राहत नहीं दे सकते! 69,000 शिक्षक भर्ती मामले में उत्तर प्रदेश के एक ‘पसंदीदा उपमुख्यमंत्री’ का बयान भी षड्यंत्रकारी है। वह उस सरकार का हिस्सा थे जिसने आरक्षण छीना और जब युवाओं ने इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी और लंबे संघर्ष के बाद उन्हें न्याय मिला, तो वह खुद को हमदर्द दिखाने के लिए आगे आ गए।”