मेरठ,29 अगस्त (ए)। यूपी के मेरठ के इंजीनियरिंग कॉलेज स्थित अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर ने एक ऐसी हाइटेक जैकेट तैयार करने का दावा किया है, जो जवानों को न केवल दुश्मनों की गोलियों से बचाएगी, बल्कि गोलियां भी दागेगी। यह जैकेट हाइटेक टेक्नोलॉजी से लैस होगी, जो जवान के घायल होने पर कंट्रोल रूम को सूचित भी करेगी। बुलेटप्रुफ तो है ही, वायरलेस ट्रिगर भी है मेरठ स्थित एमआईईटी इंजीनियरिंग कॉलेज के इनोवेटर श्याम चौरसिया ने ऐसी हाइटेक जैकेट तैयार करने का दावा किया है जो गोली दागने के साथ ही जवान के घायल होने पर लोकेशन के साथ कंट्रोल रूम को सूचित भी करेगी। ताकि घायल जवानों का इलाज तुरंत शुरू हो सके और उनकी जान बचाई जा सके। श्याम ने बताया कि यह जैकेट वायरलेस टेक्नोलॉजी से लैस है। इस हाइटेक बुलेटप्रुफ जैकेट में एक वायरलेस ट्रिगर भी है, जिसकी मदद से सेना के जवान बॉर्डर पर 10 से अधिक बंदूकें रखकर कई किलोमीटर दूर से ही दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दे सकेंगे। श्याम ने बताया कि इस जैकेट को महज 15 दिन में तैयार किया है। हाइटेक जैकेट नुकसान होने पर भी एक्टिवेट रहती है। श्याम चौरसिया ने बताया कि इस टेक्नोलॉजी की मदद से बॉर्डर पर तैनात जवान कभी अकेले नहीं पड़ेंगे, क्योंकि यह जैकेट जवानों को 24 घंटे बॉर्डर के कंट्रोल रूम से जोड़े रखेगी। इस जैकेट में 11 एमएम के 2 बैरल हैं, जिन्हें जैकेट के आगे या पीछे लगाया जा सकता है। ये लाइव कैमरे से लैस हैं, ताकि पीछे से हमला करने वाले दुश्मनों को मुहतोड़ जवाब दिया जा सके। जैकेट में लगी लाइव गन को इंटरनेट से भी चलाया जा सकता है और अगर कोई दुश्मन किसी जवान पर चाकू से हमला करता है, तो भी यह जैकेट ऑटोमेटिक तरीके से उसे शूट कर देगी। दावा है कि बुलेटप्रुफ जैकेट में लगी गन की मारक छमता 200 मीटर है। इस जैकेट की मदद से किसी भी तरह के हथियार संचालित किए जा सकते हैं। इस पूरे सिस्टम को एमआईईटी इंजीनियरिंग कॉलेज के अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर में तैयार किया गया है। खास बात है कि इस जैकेट में लगाए गए सारे उपकरण भारतीय हैं। इसे बनाने में 15 दिन लगा है। पूरे प्रोटोटाइप प्रोजेक्ट्स को तैयार करने में 20 से 22 हजार रुपये का खर्च आया है। कॉलेज में पड़े कबाड़ से इसे तैयार किया गया है। इस जैकेट में लगी हैं ये चीजें इसमें 3.7 वोल्ट बैटरी, 9 वोल्ट बैटरी, सोलर प्लेट 6 वोल्ट, अलार्म, ट्रांसमीटर रिसीवर, जीपीएस, मेटल पाइप, रिले 5 वोल्ट, कैमरा, 10 एमएम की पाइप लगे हैं। एमआईईटी के वाइस-चेयरमैन पुनीत अग्रवाल ने बताया कि अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर साइंस लैब ऐसे छात्रों का पूरा सहयोग करती है जो कुछ इनोवेटर हैं। ताकि युवा अपनी सोच को एक प्रोटोटाइप में बदलकर उसका पेटेंट करा सकें। वे कहते हैं कि जिन प्रतिभाओं को मौका नहीं मिल रहा है, वे अपने नए आइडिया लेकर यहां प्रोजेक्ट तैयार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस हाइटेक जैकेट का भी पेटेंट कराया जा रहा है। डिफेंस से जुड़े लोगों ने कहा – ट्रायल के बाद ही भरोसा हालांकि डिफेंस से जुड़े लोगों का कहना है कि जब तक इसका ट्रायल नहीं होता है, इसकी उपयोगिता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। इस प्रोजेक्ट को पेटेंट कराने से पहले आर्मी के साथ ट्रायल करना चाहिए, तभी इसकी उपयोगिता का पता चलेगा। बहरहाल यह जैकेट आजकल लोगों के बीच चर्चा का विषय जरूर बनी हुई है।