प्रयागराज/बरेली (उप्र): 14 नवंबर (ए) बुलडोजर चलवाने की कार्रवाई पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के एक दिन बाद पूरे उत्तर प्रदेश में तोड़फोड़ अभियान के पीड़ितों ने राहत की सांस ली और कहा कि वे अपने नुकसान की भरपाई के लिए कानून का सहारा लेंगे।
‘बुलडोजर कार्रवाई’ को लेकर विभिन्न हलकों से आलोचना का सामना कर रही उत्तर प्रदेश सरकार ने भी शीर्ष अदालत के फैसले की सराहना की है और स्पष्ट किया कि अतिक्रमण की गई भूमि पर बनी संपत्तियों को उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही ध्वस्त किया गया था।बुलडोजर न्याय’ की तुलना कानून विहीन स्थिति से करते हुए (जहां ताकतवर ही सही होता है) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अखिल भारतीय दिशानिर्देश तय किए और कहा कि किसी भी संपत्ति को पूर्व कारण बताओ नोटिस के बिना ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए और पीड़ितों को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए।
उच्च्तम न्यायालय के आदेश ने पीड़ितों में मुआवजा पाने की उम्मीद पैदा की है और वे इसके लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे हैं।
प्रयागराज में पंपसेट का कारोबार करने वाले जावेद मोहम्मद के घर को 12 जून, 2022 को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया था। पुलिस ने यह कहते हुए कार्रवाई को सही ठहराया था कि मोहम्मद अटाला इलाके में पथराव का मुख्य आरोपी था और उसके खिलाफ पांच मामले दर्ज किए गए थे।
जावेद ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘मनमाने तरीके से घरों को नहीं तोड़ा जाना चाहिए।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘मेरी पत्नी और बेटी को पुलिस हिरासत में रखने के बाद मेरा दो मंजिला घर गिरा दिया गया। मेरे घर को गिराकर प्रशासन यह साबित करना चाहता था कि आरोपी की पहचान हो गई है।’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके घर को गिराए जाने से पहले उन्हें कोई नोटिस नहीं भेजा गया। उन्होंने कहा, ‘‘प्रशासन का नोटिस भेजने का दावा पूरी तरह से झूठा है… उन्होंने कभी कोई नोटिस नहीं भेजा।’’
उन्होंने दावा किया कि विध्वंस के बाद उनके परिवार को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया।
जावेद ने कहा,‘‘कोई भी दोस्त या रिश्तेदार मदद के लिए आगे नहीं आया। बड़ी मुश्किल से मेरा परिवार किराए के मकान में स्थानांतरित हुआ।’’
उन्होंने कहा कि मकान ढहाए जाने से उनका पूरा कारोबार बर्बाद हो गया। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा कारोबार बर्बाद हो गया और जिन लोगों पर कर्ज था, उन्होंने भी पैसा नहीं लौटाया।’’
प्रयागराज विकास प्राधिकरण के सचिव अजीत सिंह ने बताया कि प्राधिकरण उन मकानों या दुकानों के खिलाफ कार्रवाई करता है, जिनका नक्शा स्वीकृत नहीं होता।
उन्होंने कहा, ‘‘तोड़फोड़ से पहले नोटिस जारी कर प्रतिवादी को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है, जिसके बाद ही कार्रवाई होती है।’’बरेली में शाही थाना क्षेत्र के गौसगंज गांव में 22 जुलाई को 16 लोगों के मकान ढहा दिए गए। ये मकान ताजिया उठाने को लेकर हुई मारपीट के आरोपियों के थे, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
गौसगंज की रसीदन, नफीसा और सायरा खातून ने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे ढहाए गए मकानों के एवज में मुआवजा पाने के लिए कानून का सहारा लेंगे।
उपजिलाधिकारी तृप्ति गुप्ता ने बताया कि गांव में तोड़फोड़ करने वालों के 11 मकान चिह्नित किए गए हैं। ये मकान ग्रामसभा की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए थे। उन्होंने बताया कि बाद में राजस्व टीम ने पांच और ऐसे मकानों की पहचान की जिन्हें ध्वस्त कर दिया गया।
27 जून को बरेली के तुलाशेरपुर मोहल्ले में राजीव राणा का मकान और होटल ध्वस्त कर दिया गया। राणा पर 22 जून को उनके और आदित्य उपाध्याय गुट के बीच गोलीबारी की घटना का आरोप था।
राणा की बेटी अवंतिका ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद उन्होंने पुलिस, जिला प्रशासन और बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) के खिलाफ कार्रवाई और मुआवजे के लिए अदालत जाने का फैसला किया है।
इस मामले में दूसरे पक्ष के आदित्य उपाध्याय के रिसॉर्ट पर भी 28 जुलाई को बुलडोजर चलवाया गया था। बीडीए के उपाध्यक्ष मणिकांदन ए ने बताया कि उपाध्याय ने नियमों का उल्लंघन कर निर्माण कराया था, जिसके चलते तोड़फोड़ की गई।
हालांकि, आदित्य की मां सावित्री देवी ने बताया कि उन्हें पहले से कोई सूचना नहीं दी गई और उन्हें अपना सामान बाहर निकालने का समय भी नहीं दिया गया।
उन्होंने बताया कि रिसॉर्ट आदित्य की मां के नाम पर था। सिरौली क्षेत्र के कल्याणपुर गांव में छह अक्टूबर को एक पटाखा फैक्टरी में विस्फोट के बाद पांच और मकान ध्वस्त कर दिए गए। इस विस्फोट में आठ लोगों की मौत हो गई थी।
आंवला के उपमंडल मजिस्ट्रेट नन्हे राम ने बताया कि विस्फोट के कारण पांच मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे जिससे और अधिक लोगों की जान जा सकती थी, इसलिए इन्हें ध्वस्त कर दिया गया।