अहमदाबाद, 11 अप्रैल (ए) कुख्यात माफिया अतीक अहमद को उसके खिलाफ एक आपराधिक मामले की जांच के सिलसिले में उसके गृह राज्य ले जाने के लिए उत्तर प्रदेश से पुलिस का एक दल मंगलवार को गुजरात के अहमदाबाद शहर में साबरमती सेंट्रल जेल पहुंचा।.
जेल के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उत्तर प्रदेश पुलिस 26 मार्च को भी अतीक अहमद को अदालत में पेश करने के लिए राज्य के प्रयागराज जिला ले गई थी। 28 मार्च को वहां की अदालत ने 2006 के उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक अहमद को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। उत्तर प्रदेश के 60 वर्षीय पूर्व विधायक और लोकसभा के पूर्व सदस्य अतीक को प्रयागराज से लगभग 24 घंटे की सड़क यात्रा के बाद 29 मार्च को उत्तर प्रदेश पुलिस की वैन में गुजरात की उच्च सुरक्षा वाली जेल में वापस ले जाया गया था। .
जेल के एक अधिकारी ने यहां सोमवार को बताया ‘‘उत्तर प्रदेश पुलिस का एक दल एक आपराधिक मामले की जांच के सिलसिले में अतीक अहमद को उत्तर प्रदेश ले जाने के लिए साबरमती सेंट्रल जेल पहुंचा है। उसे (उसकी हिरासत के लिए जरूरी) सभी दस्तावेज जमा करने के बाद वहां ले जाया जाएगा। ’’
उन्होंने बताया कि उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ के लिए अहमद को प्रयागराज ले जाने की संभावना है।
उच्चतम न्यायालय ने अप्रैल 2019 में अतीक अहमद पर जेल में रहने के दौरान एक रियल एस्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल का अपहरण करने और उससे मारपीट के आरोप लगने के बाद गुजरात की उच्च सुरक्षा वाली जेल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था
वह जून 2019 से यहां की जेल में बंद है।
पुलिस ने कहा कि अहमद पर हाल ही में हुए उमेश पाल हत्याकांड सहित 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। सबसे सनसनीखेज हत्या के मामलों में से एक बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल का है, जिसकी 2005 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसमें अतीक अहमद कथित तौर पर शामिल था।
इस हत्याकांड के एक अहम गवाह उमेश पाल की इसी साल 24 फरवरी को प्रयागराज स्थित उनके आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
अहमद ने पिछले महीने सुरक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। अपनी याचिका में उसने दावा किया था कि उसे और उसके परिवार को प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड में बतौर आरोपी, झूठा फंसाया गया है और उत्तर प्रदेश पुलिस उसे फर्जी मुठभेड़ में मार सकती है।
अपनी याचिका में, अहमद ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उसे अहमदाबाद से प्रयागराज ले जाने के लिए उसकी ट्रांजिट रिमांड और पुलिस रिमांड की मांग किए जाने के बीच उसे ‘‘वास्तव में आशंका है कि इस ट्रांजिट अवधि के दौरान उसे खत्म किया जा सकता है।’’