नयी दिल्ली: एक अप्रैल (ए) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि हाल ही में सामने आए उस वीडियो ने “सभी को स्तब्ध कर दिया है”, जिसमें आठ साल की एक बच्ची को उत्तर प्रदेश में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान उसकी झुग्गी पर बुलडोजर चलाए जाने के दौरान अपनी किताबें लेकर भागते हुए देखा जा सकता है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अवैध ध्वस्तीकरण से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान अंबेडकर नगर के जलालपुर इलाके में रिकॉर्ड किए गए इस वीडियो का जिक्र किया, जिसे बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा है।न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा, “हाल ही में बुलडोजर से छोटी-छोटी झुग्गियों को ध्वस्त किए जाने का एक वीडियो सामने आया है। वीडियो में एक छोटी बच्ची को अपनी किताबें लेकर ध्वस्त की गई झोपड़ी से बाहर भागते देखा जा सकता है। इस वीडियो ने सभी को स्तब्ध कर दिया है।”वीडियो के सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश के विपक्षी दलों ने कार्रवाई की कड़ी आलोचना की थी। हालांकि, अंबेडकर नगर पुलिस ने ध्वस्तीकरण कार्रवाई का बचाव किया था।
पुलिस ने कहा था, “जलालपुर तहसीलदार की अदालत द्वारा पारित एक निष्कासन आदेश के बाद गांव की जमीन से अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए यह कार्रवाई की गई थी। गैर-आवासीय ढांचों को हटाने से पहले कई नोटिस जारी किए गए थे। अवैध कब्जाधारियों से सरकारी जमीन वापस लेने के राजस्व न्यायालय के आदेश के पूर्ण अनुपालन में यह ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई।”
जलालपुर के उप प्रभागीय मजिस्ट्रेट ने 15 अक्टूबर 2024 के एक आदेश में तहसीलदार को पूर्व में दिए गए आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
आदेश में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67 के तहत 10 अक्टूबर 2024 के एक निर्णय का संदर्भ दिया गया है, जिसमें अरई गांव में एक विवादित भूखंड से राम मिलन नामक व्यक्ति को बेदखल करने का आदेश दिया गया था।
अतिक्रमणकारी पर मुआवजे के तौर पर 1,980 रुपये और निष्पादन शुल्क के तौर पर 800 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। मजिस्ट्रेट के आदेश में अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर फैसले को लागू करने का निर्देश दिया गया था।