नयी दिल्ली: दो जुलाई (ए) तीन नये आपराधिक कानूनों को लेकर जारी बहस के बीच भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को इन पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि इन कानूनों से उत्पन्न मुद्दे उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं।
तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) एक जुलाई से पूरे देश में लागू हो गए और इन कानूनों ने क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया।हाल ही में नए कानूनों पर रोक लगाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इसमें इन कानूनों में कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
दिल्ली में निचली अदालत की नई इमारतों के लिए कड़कड़डूमा, शास्त्री पार्क और रोहिणी में शिलान्यास समारोह के बाद मीडिया से बातचीत में प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ये मुद्दे उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन हैं, हो सकता है कि अन्य उच्च न्यायालयों में भी लंबित हों। इसलिए मुझे ऐसी किसी चीज पर नहीं बोलना चाहिए, जिसके अदालत के समक्ष आने की संभावना हो।’’
कार्यक्रम में अपने भाषण में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अदालतें केवल संविधान का पालन करती हैं और वादकारियों के अलावा किसी और की सेवा नहीं करती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी अदालतें केवल संप्रभु सत्ता का केंद्र नहीं हैं, बल्कि आवश्यक सार्वजनिक सेवा प्रदाता भी हैं।’’