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उच्च न्यायालय में वकील ने ‘ऐसा क्या बोला’ ? जिस पर उसे मिली फटकार, जानें पूरा मामला

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नयी दिल्ली: 26 मार्च (ए) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक वकील को बहस के दौरान ‘‘भोजपुरी अश्लीलता’’ शब्द का इस्तेमाल करने पर फटकार लगाते हुए उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि हनी सिंह के नवीनतम गीत ‘मेनियाक’ में महिलाओं को ‘यौन वस्तु’ के रूप में दर्शाया गया है और उन्हें गीत के बोल में बदलाव का निर्देश दिया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि यह गीत स्पष्ट रूप से कामुकता को बढ़ावा देता है, तथा महिलाओं को यौन इच्छा की वस्तु के रूप में चित्रित करके दोहरे अर्थ का प्रयोग करता है।मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने हालांकि याचिकाकर्ता के वकील की इस दलील पर कड़ी आपत्ति जताई कि गाने में ‘‘भोजपुरी अश्लीलता’’ है।पीठ ने कहा, ‘‘यह ‘भोजपुरी अश्लीलता’ क्या है? अश्लीलता का कोई धर्म या क्षेत्र नहीं होता। इसे परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए। कभी भी भोजपुरी को अश्लील न कहें। यह क्या है? अश्लीलता अश्लील है। फूहड़ता फूहड़ है। कल आप कहेंगे कि दिल्ली अश्लील है। अश्लीलता अश्लीलता है। कोई क्षेत्र नहीं।’’

मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘‘क्या आपने शारदा सिन्हा के बारे में सुना है? फिर यह भोजपुरी अश्लीलता क्या है?’’

याचिकाकर्ता के वकील ने जब कहा कि यह गाना इंटरनेट पर लोकप्रिय हो रहा है और इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए, तो पीठ ने कहा कि यदि वह गाने के बोलों से आहत हैं तो उन्हें प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए।अदालत ने कहा, ‘‘हम कोई परमादेश जारी नहीं कर सकते। परमादेश राज्यों और राज्य निकायों के खिलाफ जारी की जाती हैं। आपका मामला सार्वजनिक कानून के तहत नहीं है। यह निजी कानून के तहत है। अगर आप अश्लीलता से आहत हैं, तो आपराधिक कानून प्रणाली के तहत उपाय है। प्राथमिकी या शिकायत दर्ज कराएं।’’

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