कोयला घोटाला : न्यायालय ने सीबीआई को आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय जाने को कहा

राष्ट्रीय
Spread the love

नयी दिल्ली: 28 फरवरी (ए) उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में एक कंपनी और तीन अन्य को आरोपमुक्त किये जाने के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय जाने का शुक्रवार को निर्देश दिया।

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ दिल्ली की एक विशेष अदालत के नौ अगस्त, 2024 के उस आदेश के खिलाफ सीबीआई की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मामले में मनोज जायसवाल, संजीव झा और संजीव मुंजाल के अलावा ‘मेसर्स कॉरपोरेट इस्पात एलॉयज’ को आरोप मुक्त कर दिया गया था।यह घटनाक्रम 2014 और 2017 के बीच उच्चतम न्यायालय के दो आदेशों के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो जाता है, जिसमें आरोपियों पर उच्च न्यायालय जाने पर रोक लगा दी गई थी और निर्देश दिया गया था कि कोयला ब्लॉक आवंटन मामलों में निचली अदालतों से अपील केवल शीर्ष अदालत में दायर की जाएगी।

सीबीआई ने निर्देश के बाद निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

पीठ अपील पर नोटिस जारी करने के लिए इच्छुक थी।

प्रधान न्यायाधीश ने हालांकि कहा कि आरोप मुक्त करने का आदेश अंतिम प्रकृति का है और दिल्ली उच्च न्यायालय को इस पर विचार करना चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता और विशेष सीबीआई अभियोजक आर एस चीमा ने प्रधान न्यायाधीश से सहमति जताते हुए कहा कि जांच एजेंसी अपील वापस लेकर उच्च न्यायालय जाने को तैयार है।

उच्चतम न्यायालय ने अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पहले कहा था कि वह अपने उन आदेशों को संशोधित करने पर विचार करेगा, जिनमें उच्च न्यायालयों को कथित अवैध कोयला ब्लॉक आवंटन से संबंधित मामलों में निचली अदालतों द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ अपीलों पर सुनवाई करने से रोक दिया गया था।

प्रधान न्यायाधीश ने चीमा से पूछा था, ‘‘क्या सीबीआई का यही रुख है कि सब कुछ हमारे पास आना चाहिए?’’

एक वादी की ओर पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उच्च न्यायालय को अपीलों और मामलों में आरोप मुक्त करने के अनुरोध संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करने से नहीं रोका जा सकता।

उच्चतम न्यायालय ने 2014 में जनहित याचिकाओं पर संज्ञान लेते हुए 1993 से 2010 के बीच केंद्र द्वारा 214 कोयला ब्लॉक के आवंटन को रद्द कर दिया था और विशेष सीबीआई न्यायाधीश द्वारा सुनवाई का आदेश दिया था।

सीबीआई ने कोयला घोटाले में 57 मामले दर्ज किये थे तथा इसके परिणामस्वरूप धनशोधन के मामले भी दर्ज किये गये।