लखनऊ, 10 सितम्बर एएनएस। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निलंबित आईपीएस अफसरों अभिषेक दीक्षित व मणि लाल पाटीदार की संपत्तियों की जांच विजिलेंस से कराने के निर्देश दिए हैं। दोनों को हाल ही में भ्रष्टाचार एवं प्रशासनिक अनियमितता के आरोप में निलंबित किया गया था।
वर्ष 2006 बैच के तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अभिषेक दीक्षित यूपी में प्रति नियुक्ति पर हैं। वह पीलीभीत से स्थानान्तरित कर प्रयागराज के एसएसपी बनाए गए थे, जहां से वह निलंबित हो गए। इसी तरह वर्ष 2014 बैच के यूपी कैडर के आईपीएस मणि लाल पादीदार महोबा के एसपी पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में निलंबित हुए थे। दोनों फिलहाल डीजीपी मुख्यालय से संबद्ध हैं। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने दोनों निलंबित आईपीएस अफसरों के साथ अनियमितता में लिप्त रहे अन्य पुलिसकर्मियों की अलग से जांच कराकर दंडित करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए शासन द्वारा डीजीपी को निर्देशित किया गया है।
गृह विभाग का कहना है कि अभिषेक दीक्षित ने एसएसपी प्रयागराज के रूप में तैनाती की अवधि में गंभीर अनियमितताएं की हैं। उन पर थानाध्यक्षों की तैनाती में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के भी आरोप हैं। ऐसे में अब प्रयागराज में तैनाती के दौरान उनके करीबी रहे पुलिसकर्मी भी जांच के दायरे में आएंगे। इसी तरह महोबा में तत्कालीन एसपी मणि लाल पाटीदार के करीबी रहे पुलिसकर्मियों की भी जांच होगी। आईजी ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में मणि लाल पाटीदार और कुछ पुलिसकर्मियों के बीच साठगांठ होने की बात कही है। महोबा के क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने तो एक वायरल वीडियो में एसपी पर सीधा आरोप लगाया था कि वह हर महीने छह लाख रुपये न देने पर गंभीर अंजाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं। उन्होंने एसपी से अपनी जान को खतरा भी बताया था। बाद में उन्हें गोली भी मार दी गई थी।
