मुंबई: 10 नवंबर (ए) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को अपना घोषणापत्र जारी किया जिसमें कड़े प्रावधानों के साथ धर्मांतरण रोधी कानून बनाने का वादा और उद्योग की जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षण के लिए एक कौशल जनगणना के साथ-साथ निम्न आय वाले परिवारों को मुफ्त राशन देने का आश्वासन भी दिया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुंबई में 25 सूत्री ‘संकल्प पत्र 2024’ जारी किया, जिसके अनुसार महायुति सरकार की लाडकी बहिन योजना के तहत महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता 1,500 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 2,100 रुपये की जाएगी।भाजपा ने 20 नवंबर को होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में रोजगार के 25 लाख अवसर पैदा करने का वादा किया है और 10 लाख छात्रों को हर महीने 10,000 रुपये का वजीफा देने का आश्वासन दिया है।
राज्य में सत्तारूढ़ महायुति में भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल है।
भाजपा के घोषणापत्र में वादा किया गया है कि जबरन और धोखे से धर्मांतरण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए एक धर्मांतरण रोधी कानून बनाया जाएगा।
कौशल जनगणना के माध्यम से, सत्तारूढ़ पार्टी ने उद्योग की जरूरतों का पता लगाने और जहां भी आवश्यक हो, कौशल प्रशिक्षण को उन्नत करने का आश्वासन दिया।
घोषणापत्र के अनुसार, अक्षय अन्न योजना के तहत, कम आय वाले परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से हर महीने मुफ्त खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।
भाजपा ने राज्य को एक उन्नत रोबोटिक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित करने की भी योजना बनाई है। इसने प्रत्येक जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज आकांक्षा केंद्रों के माध्यम से 10 लाख नए उद्यमी तैयार करने का वादा भी किया।
पार्टी ने 2027 तक 50 लाख ‘‘लखपति दीदी’’ बनाने का वादा किया, जिसके लिए 500 स्वयं सहायता समूहों का एक औद्योगिक समूह बनाया जाएगा और 1,000 करोड़ रुपये का प्रारंभिक कोष प्रदान किया जाएगा।
घोषणापत्र में वादा किया गया है कि महायुति के सत्ता में आने पर नागपुर, पुणे, छत्रपति संभाजीनगर, नासिक और अहिल्यानगर को आधुनिक वैमानिकी एवं अंतरिक्ष निर्माण केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा।
इसमें यह भी वादा किया गया है कि उर्वरकों की खरीद पर एसजीएसटी किसानों को अनुदान के रूप में वापस किया जाएगा। घोषणापत्र के अनुसार, आवश्यक वस्तुओं की कीमतें स्थिर रखी जाएंगी।