नयी दिल्ली: 18 फरवरी (ए) उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को एक याचिकाकर्ता ने दलील दी कि मध्यस्थता और सुलह पर 1996 के कानून के तहत मध्यस्थता आदेशों को रद्द करने में सक्षम अदालतों के पास इन निर्णयों को संशोधित करने का अधिकार हो सकता है।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति संजय कुमार, न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस बात पर सुनवाई कर रही है कि क्या अदालतें 1996 के कानून के प्रावधानों के तहत मध्यस्थता फैसलों को संशोधित कर सकती हैं।