इलाहाबाद उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री, दुष्कर्म की कोशिश मामले में शिकायतकर्ता का नाम हटाए: सुप्रीम कोर्ट

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली: नौ अप्रैल (ए) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को कथित दुष्कर्म के प्रयास के एक मामले में शिकायतकर्ता मां का नाम रिकॉर्ड से हटाने का निर्देश दिया। इस मामले में उच्च न्यायालय ने 17 मार्च को विवादास्पद टिप्पणियां की थीं।

उच्चतम न्यायालय ने 26 मार्च को उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें कहा गया था कि महिला के निजी अंगों को पकड़ना और उसके ‘पैजामे’ का नाड़ा खोलना दुष्कर्म की कोशिश के अपराध के अंतर्गत नहीं आता है।शीर्ष अदालत ने कहा कि यह पूर्णतः ‘‘असंवेदनशीलता’’ और ‘‘अमानवीय दृष्टिकोण’’ को दर्शाता है।प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना के संज्ञान में मामला लाए जाने के बाद शीर्ष अदालत ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया था।

सिविल सोसाइटी नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस और पीड़िता की मां ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक अलग याचिका दाखिल की जिसपर बुधवार को न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सुनवाई की।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एस. फुल्का ने याचिका को स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई कार्यवाही के साथ संलग्न करने का अनुरोध किया, जो 15 अप्रैल को होने वाली है।

फुल्का ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय ने पीड़िता की मां, जो शिकायतकर्ता है, का नाम उल्लेखित किया है तथा इस न्यायालय के कई आदेश हैं कि नाम हटाया जाना चाहिए।’’

पीठ ने कहा कि याचिका पर स्वत: संज्ञान के आधार पर शुरू की गई कार्यवाही के साथ सुनवाई की जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘इस बीच, हम उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को पीड़िता की मां का नाम हटाने का निर्देश देते हैं।’’

शीर्ष अदालत ने 26 मार्च को उच्च न्यायालय की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे ‘‘बहुत गंभीर मामला’’ बताया था।